Child Health Vs Mobile Addiction; Ideal Age To Give Kid Smartphone | रिलेशनशिप- बच्चा स्मार्टफोन की जिद कर रहा है: उसे फोन देने से पहले खुद से पूछें ये 10 सवाल, जानें साइकोलॉजिस्ट के सुझाव

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6 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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आजकल के बच्चे जन्म से ही स्मार्टफोन के इर्द-गिर्द पलते-बढ़ते हैं। यही वजह है कि बड़े होने के दौरान उन्हें इसकी लत लग जाती है। आगे चलकर वे जल्द ही पेरेंट्स से स्मार्टफोन की डिमांड करने लगते हैं। ऐसे में बहुत से पेरेंट्स के लिए ये एक बड़ा सवाल है कि बच्चे को स्मार्टफोन कब देना चाहिए।

यह एक ऐसी उलझन है, जिसका सामना आजकल लगभग हर पेरेंट्स को करना पड़ता है। आखिर वह सही उम्र क्या है, जब बच्चा इस छोटे से डिवाइस की बड़ी दुनिया को संभालने के लिए तैयार होता है। क्या इसमें जल्दबाजी करना नुकसानदेह हो सकता है या बहुत देर करना बच्चे को सामाजिक रूप से पीछे छोड़ सकता है।

यह एक ऐसा निर्णय है, जो बच्चे का भविष्य तय करता है। इसलिए बच्चे को स्मार्टफोन देने से पहले ऑनलाइन सिक्योरिटी से लेकर इमोशनल मैच्योरिटी तक कई पहलुओं पर विचार करना जरूरी है।

आज रिलेशनशिप कॉलम में इस विषय पर गहराई से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि–

  • बच्चे के लिए स्मार्टफोन खरीदने का सही समय क्या है?
  • बच्चे को स्मार्टफोन देने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  • बच्चों के लिए स्मार्टफोन के क्या फायदे और नुकसान हैं?

बच्चे को स्मार्टफोन देने से पहले खुद से पूछें कुछ सवाल

बच्चे को स्मार्टफोन देना कब सही है, यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई एक निश्चित जवाब नहीं है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है। जैसे बच्चे की उम्र, उसकी मेच्यौरिटी का लेवल, उसकी जरूरतें वगैरह।

इसके लिए कोई एक निश्चित उम्र भी नहीं है। कुछ बच्चे 10 साल की उम्र में जिम्मेदारी दिखा सकते हैं, जबकि कुछ को अधिक समय लग सकता है। ऐसे में बच्चे को स्मार्टफोन खरीदने से पहले खुद से कुछ सवाल पूछना जरूरी है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

अगर इन सभी सवालों का जवाब ‘पॉजिटिव’ है तो बच्चे को स्मार्टफोन देने पर विचार कर सकते हैं।

बच्चे के लिए फोन खरीदने का सही समय

स्मार्टफोन खरीदने का अंतिम निर्णय माता-पिता को अपने बच्चे की व्यक्तिगत परिस्थितियों और जरूरतों के आधार पर लेना चाहिए। इसमें जल्दबाजी न करें और सभी पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार करें। बच्चे को स्मार्टफोन देने से पहले उनके साथ खुलकर बातचीत करें, नियम तय करें और उनके इस्तेमाल की निगरानी करें। स्मार्टफोन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना माता-पिता की जिम्मेदारी है, ताकि बच्चे इसके फायदों को उठा सकें और नुकसानों से बच सकें।

स्मार्टफोन जितना फायदेमंद उतना ही नुकसानदायक

स्मार्टफोन आज के बच्चों की दुनिया का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि यह जितना फायदेमंद है, उतना ही नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। जहां एक तरफ स्मार्टफोन बच्चों को सुरक्षा देता है, पढ़ाई के लिए ज्ञान का भंडार है और मनोरंजन के लिए इसमें गेम, वीडियो व म्यूजिक के अनगिनत विकल्प हैं।

वहीं दूसरी तरफ स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से बच्चों को लत लग सकती है। इससे उनकी पढ़ाई, खेलकूद और सोशल लाइफ प्रभावित हो सकती है। नींद की कमी और ध्यान भटकना जैसी कई आम समस्याएं हो सकती हैं। साइबर बुलिंग और अनुपयुक्त कंटेंट का खतरा भी मंडराता रहता है। कुल मिलाकर स्मार्टफोन के फायदे और नुकसान दोनों हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

उन पेरेंट्स के लिए सुझाव, जो बच्चे को देते हैं अपना फोन

कुछ पेरेंट्स बच्चे को अपना फोन थमा देते हैं और वह घंटों उसमें बिजी रहते हैं। ध्यान रखें कि यह एक बड़ा फैसला है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे कि-

  • बच्चे को फोन देने से पहले तय करें कि वह कब, कहां और कितनी देर तक इसका इस्तेमाल करेगा। स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें और उसका सख्ती से पालन करें।
  • बच्चे से फोन के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में बात करें। उसे ऑनलाइन सिक्योरिटी, साइबर बुलिंग और खराब कंटेंट के बारे में समझाएं।
  • शुरुआत में बच्चे के फोन के इस्तेमाल पर नजर रखें। देखें कि वह किन एप्स का इस्तेमाल करता है।
  • अगर संभव हो तो पेरेंटल कंट्रोल एप्स का इस्तेमाल करें। इससे आप अनचाहे एप्स को ब्लॉक व वेबसाइट्स को फिल्टर कर सकते हैं।
  • सुनिश्चित करें कि फोन पर प्राइवेसी और सिक्योरिटी सेटिंग्स ठीक से कॉन्फिगर की गई हों।
  • बच्चे को अपनी निजी जानकारी ऑनलाइन शेयर न करने के बारे में सिखाएं।
  • बच्चे अपने पेरेंट्स को फॉलो करते हैं। इसलिए खुद एक अच्छा उदाहरण सेट करें। भोजन के दौरान या फैमिली के साथ रहने पर फोन का इस्तेमाल न करें।
  • बच्चे को पढ़ाई और फोन के अलावा खेलकूद, किताबें पढ़ना या शौक पूरे करना जैसी अन्य एक्टिविटीज में व्यस्त रखें।
  • बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ नियमों और सीमाओं का रिव्यू करते रहें और जरूरत के अनुसार उनमें बदलाव करें।
  • बच्चे की जरूरतों और अपनी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक समझौता करें, जो दोनों के लिए स्वीकार्य हो।
  • बच्चे को जिम्मेदारी से फोन का इस्तेमाल करना सीखने में समय लग सकता है। इसके लिए धैर्य रखें और लगातार मार्गदर्शन करते रहें।

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